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bhrastachariyo ko anna ka thappad

jago bhai jago
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फिल्म गली गली में चोर है के प्रीमियम को देखकर अन्नाजी भले ही भावावेश में आकर कह दिये हों कि भ्रष्टाचारियों को होश में लाने के लिये थप्पड मारना चाहिये किन्तु अपने आंदोलन के दौरान उन्होने हमेशा कहा है कि लाठी गोली खायेंगे;भ्रष्टाचार मिटायेंगे। देश काल परिसिथतियों के अनुसार सिद्धान्तों में बदलाव आना स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी। मेरे विचार से गाधीजी के समय तानाशाही शासन (अंग्रेजी शासन) में अपनी बात कहने की आजादी नहीं थी शायद उस समय उचित यही था कि अपनी बात जरुर कहो किन्तु इस दौरान एक गाल में थप्पड खाकर दूसरा गाल भी आगे कर देना चाहिये ताकि प्रतिकि्रया में होन वालेे दमन से बचा जा सके परन्तु आज लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिसिथतिया दूसरी हैं। आज जब कर्इ कानूनों के बाद भी दिन प्रतिदिन भ्रष्टाचार बढ़ रहा है तो इन परिसिथतियों में आम आदमी के मूलत: शानितप्रिय व्यवहार में तब्दीली आना लाजिमी है, यह बात अलग है कि अन्नाजी आम आदमी होने के बजाय एक पथप्रदर्शक हैं और उनसे संयमपूर्ण ढंग से बात कहने की अपेक्षा की जाती है किन्तु यदि उन्होने कह भी दिया तो इस पर इतनी हायतौबा मचाने से अच्छा है कि हम लोग आत्ममंथन करें और उन परिसिथतियों का समूलनाश करने में सहायक बने जिनके कारण एक शान्तचित्त पथप्रदर्शक भी व्यग्र होकर न चाहते हुए भी इतनी कड़वी बात कहने को मजबूर होता है।

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