jago bhai jago
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आदरणीय महोदय
आपने बिल्कुल सटीक लि£ा है क्योंकि हमारे पास केवल अपेक्षायें हैंं, आरोप हैं, सुझाव हैं किन्तु हमे क्या करना चाहिये सिर्फ यही नहीं जानते और जाने भी कैसे क्योंकि जानना ही नहीं चाहते।एक काम बहुत अच्छे ढंग से कर सकते हैं वो है दुसरे को उपदेश देना, तुलसीदास ने भी लि£ा है पर उपदेश कुसल बहुतेरे,,। हमारा सारा समय व्यर्थ की चिन्ता में जाया होता है आत्मचिन्तन के लिये समय की कमी का बहाना है शायद इसीलिये अच्छा वही है जो हमारे लिये अच्छा हो ,जबकि अच्छा तो सार्वभौमिक सत्य होगा इसको जानते हुये भी समझना नहीं चाहते है।इसीलिये आम लोगों की राय वही है जो आपके गाँव वालों की है। और यहीं से बु़ि़öजीवियों का रोल शुरु होना चाहिये जो बहुत Ëाीमी गति से ही सही किन्तु शुरु हो चुका है।
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